NPS या UPS: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए कौन सी पेंशन योजना है फायदेमंद?

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UPS
UPS Pension Scheme (Information and Broadcasting Minister Ashwini Vaishnaw)

मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल मैं केंद्रीय कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा दिया हैं UPS के रूप में। शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें से एक यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) भी शामिल हैं। यह स्कीम नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के विकल्प के रूप में लाया गया है। इस योजना के बारे में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है।

Union Minister Ashwini Vaishnaw (ANI)

UPS (यूनिवर्सल पेंशन स्कीम) भारतीयों सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना है, जो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के विकल्प के रूप में पेश किया गया है। इस योजना का मूल उद्देश्य हैं कर्मचारियों को एक सुनिश्चित पेंशन प्रदान करना, जो NPS में मौजूद नहीं था।

यूपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन:

निश्चित पेंशन: यूपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दी जाएगी, जिसकी न्यूनतम राशि ₹10,000 तय की गई है।

पेंशन गणना: इस योजना के तहत, अगर कोई कर्मचारी 25 साल तक काम करता है, तो उसे उसकी सेवा खत्म होने से पहले के अंतिम 12 महीनों के बेसिक सैलरी के औसत का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा।

इस पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक स्थिर और निश्चित पेंशन की गारंटी दी गई है, जो उनके रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। 

यूपीएस (यूनिवर्सल पेंशन स्कीम) के तहत परिवार के लिए भी एक सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान किया गया है। यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को उस पेंशन का 60% हिस्सा तुरंत प्रदान किया जाएगा।

यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी उसके परिवार को वित्तीय सहायता मिलती रहे, जिससे उनका जीवन सुचारू रूप से चलता रहे।

यूपीएस (यूनिवर्सल पेंशन स्कीम) के तहत कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के अलावा रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान भी किया जाएगा। यह एकमुश्त भुगतान उस कर्मचारी की मासिक आय और महंगाई भत्ते (DA) से बनी राशि का 10वां हिस्सा होगा। इस राशि की गणना हर 6 महीने के अनुसार की जाएगी।

नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) एक अप्रैल, 2025 से लागू होगी। इसके लागू होने से एनपीएस खाताधारक यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं। एनपीएस को लागू करने के लिए सरकार को चालू वित्त वर्ष में करीब 800 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे, जबकि यूपीएस पर कुल खर्च करीब 6250 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

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